श्री कृष्ण का सर्व प्रथम , जब था पूजन होने वाला
क्रोधित हो यह देख, गालियाँ लगा सुनाने मतवाला
अरे बोल वह कब तक सुनता , सुनली उसकी सौ गाली
वही राजसूय यज्ञ बना , शिशुपाल दुष्ट की बधशाला
हाथ कफ़न से बाहर कर दो,ह्रदय नहीं मेरा काला
देखे दुनिया ! खाली हाथो , जाता है जाने वाला
कहा सिकंदर ने मरते दम , मेरे गम में मत रोना
वे ही रोये जिनके घर में , नहीं खुली हो बधशाला
गिरा गोद में घायल पक्षी , आतुर होकर देखा भाला
वहां बधिक आ गया भूख से , था व्याकुल मरने वाला
जीवन मरण आज गौतम को.,खूब समझ में आया था
किस पर दया करूँ! क्या दुनिया , इसी तरह है बधशाला
किस पर दया करूँ! क्या दुनिया , इसी तरह है बधशाला