श्री कृष्ण का सर्व प्रथम , जब था पूजन होने वाला
क्रोधित हो यह देख, गालियाँ लगा सुनाने मतवाला
अरे बोल वह कब तक सुनता , सुनली उसकी सौ गाली
वही राजसूय यज्ञ बना , शिशुपाल दुष्ट की बधशाला
हाथ कफ़न से बाहर कर दो,ह्रदय नहीं मेरा काला
देखे दुनिया ! खाली हाथो , जाता है जाने वाला
कहा सिकंदर ने मरते दम , मेरे गम में मत रोना
वे ही रोये जिनके घर में , नहीं खुली हो बधशाला
गिरा गोद में घायल पक्षी , आतुर होकर देखा भाला
वहां बधिक आ गया भूख से , था व्याकुल मरने वाला
जीवन मरण आज गौतम को.,खूब समझ में आया था
किस पर दया करूँ! क्या दुनिया , इसी तरह है बधशाला
किस पर दया करूँ! क्या दुनिया , इसी तरह है बधशाला
badhiya
ReplyDeleteबहुत सुंदर ....
ReplyDeleteवाह .....
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ReplyDeleteपरिस्थितियां ही तय करती क्या है यज्ञशाला और क्या वधशाला !
गिरा गोद में घायल पक्षी , आतुर होकर देखा भाला
ReplyDeleteवहां बधिक आ गया भूख से , था व्याकुल मरने वाला
जीवन मरण आज गौतम को.,खूब समझ में आया था
किस पर दया करूँ! क्या दुनिया , इसी तरह है बधशाला
वाह वाह ,,, अल्लाह करे ज़ोर ए क़लम और ज़ियादा
कृष्ण , सिकंदर और गौतम ने
ReplyDeleteऐसे ऐसे काम किये
कभी माफ़ करना सिखलाया
कभी बनायी बधशाला
सौ ख़ून माफ़ करने की कहावत भी तभी बनी होगी :)
बहुत सुंदर .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरे सपनो के रामराज्य (भाग तीन -अन्तिम भाग)
नई पोस्ट ईशु का जन्म !
वाह......
ReplyDeleteकमाल की राह पकड़ी है आपने......
बधाई अद्भुत रचना के लिए....
अनु
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन "तुम चले जाओगे तो सोचेंगे ... हम ने क्या खोया ... हम ने क्या पाया !!" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर , शानदार .
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteअद्भुत ...
ReplyDeleteगहन जीवन दर्शन चंद शब्दों में कह दिया .......बहुत सुंदर .
लिखना जारी रखिये , मंगलकामनाएं आपको !
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