है ये कितनी श्यामलता ?
रजनी ये कैसी भोली है , है चन्द्र इसे नित नित छलता
रह रह छोड़ इसे शशि जाता
तनिक ना मन में छली लजाता
सहृदयता से रखे ना नाता
अति कुटिल चाल ये चलता
है ये कितनी श्यामलता ?
जब वह निर्मम रहे भवन में
छटा छिटकती इसके तन में
ज्योति जागती है जीवन में
रहती अतिशय है उज्ज्वलता
है ये कितनी श्यामलता ?
तारक-हार ना गए कही है
बिखर गए सब पड़े यही है
कुमुद -नयन भी खुले नहीं है
क्यों है इतनी विह्वलता ?
है ये कितनी श्यामलता ?
रजनि बनो अब तुम भी निष्ठुर
कठिन बनाओ निज कोमल उर
प्रेम पंथ है अतिशय दुस्तर
ग्रह योग कहाँ है मिलता ?
है ये कितनी श्यामलता ?
रजनी ये कैसी भोली है , है चन्द्र इसे नित नित छलता
रह रह छोड़ इसे शशि जाता
तनिक ना मन में छली लजाता
सहृदयता से रखे ना नाता
अति कुटिल चाल ये चलता
है ये कितनी श्यामलता ?
जब वह निर्मम रहे भवन में
छटा छिटकती इसके तन में
ज्योति जागती है जीवन में
रहती अतिशय है उज्ज्वलता
है ये कितनी श्यामलता ?
तारक-हार ना गए कही है
बिखर गए सब पड़े यही है
कुमुद -नयन भी खुले नहीं है
क्यों है इतनी विह्वलता ?
है ये कितनी श्यामलता ?
रजनि बनो अब तुम भी निष्ठुर
कठिन बनाओ निज कोमल उर
प्रेम पंथ है अतिशय दुस्तर
ग्रह योग कहाँ है मिलता ?
है ये कितनी श्यामलता ?