खिल रहे है बगिया में ,
शुभ्र धवल गुलाब
विटप गीत गुनगुना रहे ,
मुदित मन रहा नाच
छन -छन आती सोंधी सुगंध ,
है घनदल छाये हुए .
कलियों की स्मित मुस्कान
चन्द्रकिरण में नहाये हुए
मधुकर का मधुर मिलन गीत
पिक की विरह तान
मंदिर की दिव्य वाणी ,
मस्जिद से आती है अजान
कलियों की चंचल चितवन ,
मदन का पुष्प बान
लतिका का कोमल गात,
देख रहा अम्बर विहान
कोयल की मधुर कूक ,
क्या क्षुधा हरण कर सकती है ?
कर्णप्रिय भ्रमर गीत ,
माली का पोषण कर सकती है ?
सुमनों के सौरभ हार,
सजा सकते है कुंचित केश
बिखरा सकते है खुशबू,
बन सकते देवो का अभिषेक
पर क्या ये सजा सकते है ,
दीन- हीन आँखों में ख्वाब ?
क्षुधा शांत गेहूं ही करता,
फिर मन भाता है गुलाब