Wednesday, July 31, 2013

बधशाला -12

इसको कहते है ! पत्थर दिल नहीं एक आंसू ढाला
कर्मयोग में ऐसा ही , बन जाता कर्मठ मतवाला
मोरध्वज के अंतिम धर्म की , उपमा मिलनी महा कठिन
मात- पिता निज सुत की खोले. हर्षित होकर बधशाला



बोला सुत को बांध खंभ से , हिरनकश्यप मतवाला
बता कहाँ भगवान छिपा है , कर बैठा क्या मुंह काला
कहा भक्त ने असुर निकंदन , आओ काटो मम बंधन
प्रकट तपोबल तभी हुआ, खोली पशुबल की बधशाला



गया चोर की तरह भीरु ने , कर्म कलंकित कर डाला
अमर हुआ तो क्या? माथे का, , घाव नहीं भरने वाला
अरे निकर अश्व्स्थामा क्यों , धर्म युद्ध बदनाम किया
द्रोपदी के सुत सोये सुख मय,. नींद खोल दी बधशाला

Thursday, July 11, 2013

बधशाला -11


किस का मुंह पकड़ा जाता है , जो चाहा सो कह डाला
दिल पर रख के हाथ जरा तो , सोचे कोई दिलवाला 
जिसे समझते जुल्म ! यही है. मूल मंत्र आजादी का 
रूह जिस्म में कैद , उसे , आजाद कराती बधशाला

जीवन को आदर्श बनाये , विश्व प्रेम का पी प्याला 
हिम्मते मर्द  मदद ख़ुदा की ,सदा गान करने वाला 
ताल ठोक चढ़ जाये जो . अमर ध्येय की सीढ़ी पर 
ऐसे ही वीरों का स्वागत , करती मेरी बधशाला 

परहित जो पीड़ा सहता है, होता कोई दिलवाला 
है आनंद उसी में उसको. जीवन सुखद बना डाला
जग में जितने हुए सुधारक , अब है या आगे होंगे 
चले धार पर तब सुधार का , पाठ पढ़ाती बधशाला .

Wednesday, July 10, 2013

बधशाला -10

यह कुटुंब, धन, धाम कहाँ है , अरे साथ जाने वाला
जिसके पीछे तूने पागल , क्या अनर्थ न कर डाला
नित्य देखता है तू फिर भी , जान बूझकर फंसता है
"जग जाने " पर ही यह जग है , सो जाने पर बधशाला.



जितना ऊँचा उठना चाहे , उठ जाये उठने वाला
नभ चुम्बी इन प्रासादों को , अंत गर्त में ही डाला
जहाँ हिमालय आज खड़ा है , वहां सिधु लहराता था
लेती है जब करवट धरती, खुल जाती है बधशाला 



खिसक हिमालय पड़े सिन्धु में , लग जाये भीषण ज्वाला
गिरे ! टूट नक्षत्र भूमि नभ , टुकड़े टुकड़े कर डाला
अरे कभी मरघट में जाकर , सुना नहीं प्रलयंकर गान
ब्रम्ह सत्य है ! और सत्य है , विश्व नहीं, ये बधशाला

Monday, July 8, 2013

बधशाला -9

हिन्दू मुस्लिम वैमनस्य की , भड़क उठी सहसा ज्वाला
उसे बुझाने की हित उसने , खून पसीना कर डाला
आँक सके क्या फिर भी कीमत , मजहब के अंधे व्यापारी
कानपुर बन गया विधाता !, गणेश शंकर की बधशाला

जा प्रयाग में कुम्भ त्रिवेणी , नहाता है क्या ? मतवाला
धर्म कर्म सब अरे ! वृथा है , जब तेरा है दिल काला
पहले जा अल्फ्रेड पार्क में , होगा तीरथ तभी सफल
खोल गया "आजाद " दिलजला . आजादी हित बधशाला

रोशन सा दिलजला कौन है, लहरी सा विषधर काला
दीवाना "अश्फाक" बनादे , सबको "बिस्मिल" मतवाला
फांसी के तख्ते पर ! कीमत, आज़ादी की आँक गए
महा कृतघ्नी ! भूल गए जो , उन वीरों की बधशाला

Friday, July 5, 2013

बधशाला -8

देश धर्म को छोड़ ! खोलता , कोई पागल मधुशाला
भूल गया अपने को यह क्या,जान सकेगा मतवाला
है कोई! देखेगा दिल , दिलवाला उन दिलवालों का
शीश चढ़ाकर अरे जिन्होंने , अमर बनाई  बधशाला

क्या ?जीवन भर लिए फिरेगा , दर दर पर खाली प्याला
तेरी तृष्णा ! नहीं मिटेगी , कितनी ही पीले हाला
अरे शराबी ! बांध कफ़न सिर, मेरे पीछे पीछे चल .
भूल जायेगा मधुशाला को , अगर देख ली बधशाला

गला घोट दे मधुबाला का,चूर चूर कर दे प्याला
तली तोड़ दे मधुघट की पागल ,बह जाये सारी हाला
कान पकड़ के तौबा कर ले , परम पिता से मांग क्षमा
तुझे सूझती मधुशाला , खुल रही देश में बधशाला

सुरा ! शराबी का जीवन है , मेरा जीवन है ज्वाला
उसकी प्यारी मधुशाला है , मेरी आश कृषक -बाला
वह देता है निशा निमंत्रण , उषा निमंत्रण मै देता
झूम रहा है वह मधुशाला में , घूम रहा मै बधशाला