यह कुटुंब, धन, धाम कहाँ है , अरे साथ जाने वाला
जिसके पीछे तूने पागल , क्या अनर्थ न कर डाला
नित्य देखता है तू फिर भी , जान बूझकर फंसता है
"जग जाने " पर ही यह जग है , सो जाने पर बधशाला.
जितना ऊँचा उठना चाहे , उठ जाये उठने वाला
नभ चुम्बी इन प्रासादों को , अंत गर्त में ही डाला
जहाँ हिमालय आज खड़ा है , वहां सिधु लहराता था
लेती है जब करवट धरती, खुल जाती है बधशाला
खिसक हिमालय पड़े सिन्धु में , लग जाये भीषण ज्वाला
गिरे ! टूट नक्षत्र भूमि नभ , टुकड़े टुकड़े कर डाला
अरे कभी मरघट में जाकर , सुना नहीं प्रलयंकर गान
ब्रम्ह सत्य है ! और सत्य है , विश्व नहीं, ये बधशाला
जिसके पीछे तूने पागल , क्या अनर्थ न कर डाला
नित्य देखता है तू फिर भी , जान बूझकर फंसता है
"जग जाने " पर ही यह जग है , सो जाने पर बधशाला.
जितना ऊँचा उठना चाहे , उठ जाये उठने वाला
नभ चुम्बी इन प्रासादों को , अंत गर्त में ही डाला
जहाँ हिमालय आज खड़ा है , वहां सिधु लहराता था
लेती है जब करवट धरती, खुल जाती है बधशाला
खिसक हिमालय पड़े सिन्धु में , लग जाये भीषण ज्वाला
गिरे ! टूट नक्षत्र भूमि नभ , टुकड़े टुकड़े कर डाला
अरे कभी मरघट में जाकर , सुना नहीं प्रलयंकर गान
ब्रम्ह सत्य है ! और सत्य है , विश्व नहीं, ये बधशाला
धन्य हो भाई तुम ,,,उस मन- मस्तिष्क को सादर नमन जिस में ऐसे सुंदर और बढ़िया विचार आते हैं
ReplyDeleteजियो ख़ुश रहो !!!
हर पल बढ़ते रहते हम सब,
ReplyDeleteअन्त जहाँ, सब त्यक्त वहीं,
मन के सारे अनसुलझों का,
मर्म उमड़ता, व्यक्त वहीं।
bahut badhiya
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ReplyDeleteअद्भुत..
कमाल की रचना......
अब कोई ईर्ष्या करे बिना कैसे रहे :-)
अनु
प्रभावशाली श्रृंखला में जुड़ी एक और सुन्दर कड़ी...!
ReplyDeleteचलता रहे चिंतन... बढ़ती रहे काव्ययात्रा!
अध्बुध ... नमन है आपकी कलम को ...
ReplyDeleteगहरा चिंतन .. रुकने न पाए ये प्रवाह ... आमीन ...
ब्रम्ह सत्य है ! और सत्य है , विश्व नहीं, ये बधशाला .... कुछ भी साथ नहीं जाता ...
ReplyDeleteनश्वर संसार को परिभाषित करती सुन्दर पंक्तियाँ ... :)
गज़ब है , गज़ब है , गज़ब है ..
ReplyDeleteबेहद उम्दा | लाजवाब
ReplyDeleteलेती है जब करवट धरती, खुल जाती है बधशाला ...
ReplyDeletespeechless
अरे कभी मरघट में जाकर , सुना नहीं प्रलयंकर गान
ReplyDeleteब्रम्ह सत्य है ! और सत्य है , विश्व नहीं, ये बधशाला
...बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति...
कालजयी यह बधशाला।
ReplyDeleteगहन होती हर श्रंखला .....जीवन सत्य से करीब ...आध्यात्म से जुड़ती हुई ...!!बहुत प्रभावी ...!!अमर होगी यह बधशाला ....!!
ReplyDeleteभीषण , प्रलयंकर ये बधशाला..अति सुन्दर..
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