इसको कहते है ! पत्थर दिल नहीं एक आंसू ढाला
कर्मयोग में ऐसा ही , बन जाता कर्मठ मतवाला
मोरध्वज के अंतिम धर्म की , उपमा मिलनी महा कठिन
मात- पिता निज सुत की खोले. हर्षित होकर बधशाला
बोला सुत को बांध खंभ से , हिरनकश्यप मतवाला
बता कहाँ भगवान छिपा है , कर बैठा क्या मुंह काला
कहा भक्त ने असुर निकंदन , आओ काटो मम बंधन
प्रकट तपोबल तभी हुआ, खोली पशुबल की बधशाला
गया चोर की तरह भीरु ने , कर्म कलंकित कर डाला
अमर हुआ तो क्या? माथे का, , घाव नहीं भरने वाला
अरे निकर अश्व्स्थामा क्यों , धर्म युद्ध बदनाम किया
द्रोपदी के सुत सोये सुख मय,. नींद खोल दी बधशाला
कर्मयोग में ऐसा ही , बन जाता कर्मठ मतवाला
मोरध्वज के अंतिम धर्म की , उपमा मिलनी महा कठिन
मात- पिता निज सुत की खोले. हर्षित होकर बधशाला
बोला सुत को बांध खंभ से , हिरनकश्यप मतवाला
बता कहाँ भगवान छिपा है , कर बैठा क्या मुंह काला
कहा भक्त ने असुर निकंदन , आओ काटो मम बंधन
प्रकट तपोबल तभी हुआ, खोली पशुबल की बधशाला
गया चोर की तरह भीरु ने , कर्म कलंकित कर डाला
अमर हुआ तो क्या? माथे का, , घाव नहीं भरने वाला
अरे निकर अश्व्स्थामा क्यों , धर्म युद्ध बदनाम किया
द्रोपदी के सुत सोये सुख मय,. नींद खोल दी बधशाला
कर्मयोग और विस्तार से सूक्ष्मता की ओर ......आध्यात्म से जुड़ती निरंतर ......हृदय झकझोरती बधशाला ......
ReplyDeleteज्ञान का सागर बनती जा रही है ये ....!!
बहुत सुंदर ज्ञानवर्धक श्रिंखला.....आशीष भाई ....!!
सुन्दर श्रृंखला की एक और प्रभावशाली कड़ी!
ReplyDeleteअपनी -अपनी है बधशाला । किसी ने की धर्म के निम्मित, तो कोई अहंकार में भरा !
ReplyDeleteबेहतरीन !!! बस और कुछ नहीं !!
ReplyDeleteबहुत बहुत बढ़िया ...
ReplyDeleteभक्तों की भी कठिन परीक्षा
ReplyDeleteलेते हैं भगवान सदा
उदाहरणों के माध्यम से
सिखा रही है बधशाला
इतिहास के अध्याय ऐसे ही क्षत विक्षत पड़े हैं विकारों से, वधशाला ने सब देखा है।
ReplyDeleteन जाने इतिहास में कितनी वधशालाएं दबी हैं ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteBAHUT BAHUT SUNDAR ..BEHTREEN LIKH RAHE HAIN AAP ASHISH IS KO ..BAHUT ROCHAK TAREEKE SE ..PADHNA ACCHA LAGTA HAI ISKO ..SHUKRIYA
ReplyDeleteधर्म के आड़ लेकर अहंकारी हर युग में बध शाला का निर्माण किया
ReplyDeletelatest post,नेताजी कहीन है।
latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
कविता का असली रूप तो भैया जी आपके ब्लॉग पर दीखने को मिलता है :)
ReplyDeleteबढ़ते चलो इस बधशाला के साथ ...
ReplyDeleteAapki ye shrinkhala padhke mai nistabdh ho jatee hun...kya comment karun?
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteघाव नहीं भरने वाला
ReplyDeleteबधशाला से जो इतना बहा है हाला..