हिंसा से हिंसा बढती है , पीयो प्रेम रस का प्याला
नफरत से नफरत को वश में , अरे कौन करने वाला
"बापू" के हित अगर तुम्हारी , आँखों में कुछ आंसू है
बंद करो लड़ाई,मत खोलो , हिन्दू मुस्लिम बधशाला.
मंदिर तोड़ मुसलमां सहसा , बोल उठा अल्ला ताला
मस्जिद फूंक और हिन्दू का , बजा शंख घंटा आला
जान न पाए दोनों पागल , उसके नाम अनेकों है ,
किया धर्म बदनाम खोल , रहमान राम की बधशाला.
नाच गया किसकी थापों पर , जिन्ना होकर मतवाला
किसके सगे हुए ये गोरे, रहा हमेशा दिल काला
"क्रिप्स" लगाकर आग हिन्द में , सात समुन्दर पर गया
बजा रहा था "चर्चिल" ट्रम्पेट , देख हमारी बधशाला
likhte rahiye....:)....
ReplyDeletetaarifo ke chand shabd likhne ke liye mere paas wo shabd hi nahi....bas itna hi likhugi ki superb kamaal kar ditta...
मानवीयता का पाठ पढ़ाती स्पष्ट, सटीक अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteआशीष
ReplyDeleteइतनी सुन्दर रचना रच दी......कर दिया सभी को मतवाला
ऐसे ही बस बढ़ती जाये ...ख़त्म न हो यह बधशाला
मंदिर तोड़ मुसलमां सहसा , बोल उठा अल्ला ताला
ReplyDeleteमस्जिद फूंक और हिन्दू का , बजा शंख घंटा आला
जान न पाए दोनों पागल , उसके नाम अनेकों है ,
किया धर्म बदनाम खोल , रहमान राम की बधशाला.
हमेशा की तरह बहुत बढ़िया और सार्थक रचना ,सदा प्रसन्न रहो
ज्ञानियों ने धर्म बनाये थे .. मतलबियों ने उन्हें सम्प्रदाय में बदल दिया
ReplyDeleteवाह .....
ReplyDeleteमानवता के रंग रंगी है ,हिम्मतवालों की टोली ....!
केसरिया है रंग भाव का ,बढ़ती जाती बधशाला .....!!
बस,खत्म न हो कभी ज्ञान की यह पाठशाला :).
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया .......और आगे ...
ReplyDeleteहिंसा से हिंसा बढती है , पीयो प्रेम रस का प्याला
ReplyDeleteनफरत से नफरत को वश में , अरे कौन करने वाला
"बापू" के हित अगर तुम्हारी , आँखों में कुछ आंसू है
बंद करो लड़ाई,मत खोलो , हिन्दू मुस्लिम बधशाला.
क्या बात..................
अंतिम वाला सबसे अच्छा लगा। ..सात समुंदर पार गया।
ReplyDeleteबढ़िया.......आपके ज्ञान का तो लोहा मान गए.
ReplyDeleteदाद कबूल कीजिये.
अनु
मधुशाला के बाद एक ऐसी रचना यह बनती जा रही है जिसे बार-बार पढ़ने-गुनने और गाने का मन करता है।
ReplyDeletewaah.. bohat khoob..likhte rahiye
ReplyDeleteप्रतिदिन ही कहीं न कहीं खुलती है बधशाला !
ReplyDeleteअंग्रेजों को अपना सपना साकार लगा होगा, यह वधशाला देख।
ReplyDeletehttp://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ के शुक्रवारीय अंक ६/१२/१३ मैं आपकी रचना को शामिल किया जा रहा हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे धन्यवाद
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