Monday, May 26, 2014

प्रार्थना


छिपी हुई वो तेज राशि
आ ! अंतर आलोकित कर दे 
दुर्बलता के सघन तिमिर में 
ज्योतिर्मयी आभा भर दे


संपुट दुविधा का खोल लूँ 
प्रज्ञा हो अंतर्मन के लोल में 
तामस -तमस को घोल दूँ 
हो सुधा शाद्वल इस खगोल में 


अपना भूला मार्ग खोज लूँ
जिधर छिपी रत्नों की खान 
उनमे से एक दो बीन लूँ
आत्मिक बल , जाग्रति , उत्थान .

6 comments:

  1. इस प्रार्थना के लिये तो बस यही कहूँगी .... आमीन !!!

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  2. खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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  3. बहुत सुन्दर....
    आमीन!!

    अनु

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  4. अपना भूला मार्ग खोज लूँ
    जिधर छिपी रत्नों की खान
    उनमे से एक दो बीन लूँ
    आत्मिक बल , जाग्रति , उत्थान .

    बहुत सुन्दर.... अनुकरणीय सोच

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  5. बहुत सुन्दर शब्द और भाव !!

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