छिपी हुई वो तेज राशि
आ ! अंतर आलोकित कर दे
दुर्बलता के सघन तिमिर में
ज्योतिर्मयी आभा भर दे
संपुट दुविधा का खोल लूँ
प्रज्ञा हो अंतर्मन के लोल में
तामस -तमस को घोल दूँ
हो सुधा शाद्वल इस खगोल में
अपना भूला मार्ग खोज लूँ
जिधर छिपी रत्नों की खान
उनमे से एक दो बीन लूँ
आत्मिक बल , जाग्रति , उत्थान .
इस प्रार्थना के लिये तो बस यही कहूँगी .... आमीन !!!
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteआमीन !!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteआमीन!!
अनु
अपना भूला मार्ग खोज लूँ
ReplyDeleteजिधर छिपी रत्नों की खान
उनमे से एक दो बीन लूँ
आत्मिक बल , जाग्रति , उत्थान .
बहुत सुन्दर.... अनुकरणीय सोच
बहुत सुन्दर शब्द और भाव !!
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