कान लगाकर ! क्या सुनता है ,बोतल की कुल कुल आला
मधुबाला को लिए बगल में , क्या बैठा है मतवाला
बेटे का कर्तव्य यही क्या , दुनिया मुंह पर थुकेगी
मस्त पड़ा तू मधुशाला में , देख रही मां बधशाला.
मधुबाला को लिए बगल में , क्या बैठा है मतवाला
बेटे का कर्तव्य यही क्या , दुनिया मुंह पर थुकेगी
मस्त पड़ा तू मधुशाला में , देख रही मां बधशाला.
सोम सुधा को सुरा बताये , पड़ा अक्ल पर क्या ताला
द्रोण कलश को मधुघट कहता ,हुआ नशे में मतवाला
सुरा पान का कहाँ समर्थन , वेदों को बदनाम न कर
अरे असुर क्यों खोल रहा है , दिव्य ज्ञान की बधशाला
बने रहेंगे मंदिर जिनमे , नित्य जरी जाये माला
बनी रहेगी मस्जिद जिसमे , सदा आये अल्ला -ताला
है भारत आज़ाद ! देखले , आँख खोलके ओ काफ़िर
सभी जगह खुल रही ! खुलेगी , मधुशाला की बधशाला
मधुशाला की वधशाला तो सरकार नहीं खोलने देगी :):) उसको पैसा चाहिए .... बहुत सुंदर काव्य
ReplyDeleteवाह आशीष ..बस इस श्रंखला का अंत न हो ....!!!
ReplyDeleteवाह.....
ReplyDeleteबेटे का कर्तव्य यही क्या , दुनिया मुंह पर थुकेगी
मस्त पड़ा तू मधुशाला में , देख रही मां बधशाला.
आशीष जी इस बधशाला को कहीं बहुत ऊपर तक जाते देख रही हूँ....
बेहतरीन...
अनु
कब तक ये प्रकाशित होगी, अब बस ये बताइए :)
ReplyDeleteजय हो.... मधुशाला की भी बधशाला खोल ही दी।
ReplyDeleteअभी और लिखिए, प्रकाशन के लिए जल्दीबाजी ठीक नहीं होगी।
बने रहेंगे मंदिर जिनमे , नित्य जरी जाये माला
ReplyDeleteबनी रहेगी मस्जिद जिसमे , सदा आये अल्ला -ताला
क्या बात है .. निखर रही प्रतिपल वधशाला .
तुम्हारी इस बधशाला के हम तो शुरू से कायल है ...तुम लिखो ये छपेगी जरुर
ReplyDeleteकान लगाकर ! क्या सुनता है ,बोतल की कुल कुल आला
ReplyDeleteमधुबाला को लिए बगल में , क्या बैठा है मतवाला
बेटे का कर्तव्य यही क्या , दुनिया मुंह पर थुकेगी
मस्त पड़ा तू मधुशाला में , देख रही मां बधशाला.
..............वाह अति सुन्दर ..यह श्रृखला मील का पत्थर साबित होगी ..सुभकामनाएँ आशीष जी !
अद्भुत ...पहले भी कहा है , ये सहेजने योग्य श्रंखला है ....
ReplyDeleteबेटे का कर्तव्य यही क्या , दुनिया मुंह पर थुकेगी
ReplyDeleteमस्त पड़ा तू मधुशाला में , देख रही मां बधशाला. ….
सार ज़िन्दगी का पृष्ठ पृष्ठ खोले
तेरी स्याही भरी ये मधुशाला
कर्तव्यच्युत जो मद में डूबा
उसकी खातिर होगी ये बधशाला
कितने ही घर बच जाएँगे...खुल जाए जो मधुशाला की वधशाला...पर यह सम्भव नहीं...
ReplyDeleteवधशाला बहुत स्थिर और सधे कदमों से आगे बढ़ रही है...जल्द ही ग्रंथ बनने लायक बन जाए...शुभकामनाएँ !!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अब रेलवे ऑनलाइन पूछताछ हुई और आसान - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबस मंत्रमुग्ध हो पढ़ते जा रहे हैं।
ReplyDeletebahut sunder kavya ....!!
ReplyDeleteवाह ..
ReplyDeleteबने रहेंगे मंदिर जिनमे , नित्य जरी जाये माला
ReplyDeleteबनी रहेगी मस्जिद जिसमे , सदा आये अल्ला -ताला
है भारत आज़ाद ! देखले , आँख खोलके ओ काफ़िर
सभी जगह खुल रही ! खुलेगी , मधुशाला की बधशाला
बहुत खुबसूरत रुबैयाँ
latest post कानून और दंड
atest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
बेह्तरीन अभिव्यक्ति बहुत खूब ,
ReplyDeleteबधशाला के सुंदर सृजन सुन्दर कड़ी.....
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