जब निदाध से तापित होता
धरनी का उर अपरम्पार
उमड़ घुमड़ कजरारे वारिद
सिंचन करते शिशिर फुहार
जब तम पट में मुँह ढक राका
रोती गिरा अश्रु निहार
सुभग सुधाकर उसे हँसाता
उमड़ घुमड़ कजरारे वारिद
सिंचन करते शिशिर फुहार
जब तम पट में मुँह ढक राका
रोती गिरा अश्रु निहार
सुभग सुधाकर उसे हँसाता
ललित कलाएं सभी प्रसार
सरोजनी का मृदुल बदन जब
नत होता सह चिंता भार
दिनकर कर -स्पर्श से उसमे
करता अमित मोद संचार
सरिताओं के जीवन पर जब
करता तपन कठोर प्रहार
व्योम मार्ग से जलधि भेजता
उन तक निज उर की रसधार
कठिन पवन के झोंको से जब
होता विकल मधुप सुकुमार
कमल-कली झट उसे बचाती
आवृत कर निज अन्तर्द्वार
हृदयहीन होने पर भी है
कितना सहृदय व्यापार
प्रकृति सुंदरी सत्य बता दे
किससे पाया इतना प्यार ?
सरोजनी का मृदुल बदन जब
नत होता सह चिंता भार
दिनकर कर -स्पर्श से उसमे
करता अमित मोद संचार
सरिताओं के जीवन पर जब
करता तपन कठोर प्रहार
व्योम मार्ग से जलधि भेजता
उन तक निज उर की रसधार
कठिन पवन के झोंको से जब
होता विकल मधुप सुकुमार
कमल-कली झट उसे बचाती
आवृत कर निज अन्तर्द्वार
हृदयहीन होने पर भी है
कितना सहृदय व्यापार
प्रकृति सुंदरी सत्य बता दे
किससे पाया इतना प्यार ?