Monday, May 26, 2014

प्रार्थना


छिपी हुई वो तेज राशि
आ ! अंतर आलोकित कर दे 
दुर्बलता के सघन तिमिर में 
ज्योतिर्मयी आभा भर दे


संपुट दुविधा का खोल लूँ 
प्रज्ञा हो अंतर्मन के लोल में 
तामस -तमस को घोल दूँ 
हो सुधा शाद्वल इस खगोल में 


अपना भूला मार्ग खोज लूँ
जिधर छिपी रत्नों की खान 
उनमे से एक दो बीन लूँ
आत्मिक बल , जाग्रति , उत्थान .