Thursday, October 3, 2013

क्यों


छल छल करती सरिता में क्यों 
छलका करुण प्रवाह? 
निर्झर क्यों झर झर बिखराता
नयन नीर का वाह ?




लतिका के नत आनन पर क्यों ? 
झलका अन्तर्दाह ?
तरु क्यूँ पत्र -अधर -कम्पन से 
भरते नीरव आह ?




सांध्य गगन की मलिनाकृति से 
क्यों प्रकटित अवसाद ?
श्यामल भूधर झींगुर रव मिष
क्यों करते दुःख नाद ?

16 comments:

  1. ह्रदय की पीड़ा से उपजे प्रश्नों के उत्तर कौन देगा आखिर ??
    बेहतरीन कविता !!

    अनु

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  2. भव्य और आकर्षक चेतनामयी प्रकृति के पीड़ित ह्रदय का जीवंत चित्रण ..... एक -एक शब्द जैसे दिल में उतर गया ... बधाई .. :)

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  3. क्या कहने ... अद्भुत

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  4. बहुत सुन्दर कविता ......

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  5. हृदयस्पर्शी भाव ।
    असीम वेदना झलकाती उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ....!!संग्रहणीय रचना है ....आशीष भाई ...!!बहुत सुंदर

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  6. वाह ...उम्दा

    कुछ प्रश्नों के उत्तर कभी नहीं मिलते

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  7. सुन्दर सृजन. अच्छा लगा आपकी कविता पढकर.

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  8. अति सुंदर ..... प्रवाहमयी भाव

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  9. जब निर्झर झरता रहता है तो
    ये ' क्यों '' ही थामे भी रहता है..

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  10. प्रकृति का मानवीकरण

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  11. गूढ़ प्रश्न, बहुत सुन्दर

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  12. वाह, खूबसूरत,लाजवाब रचना.

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  13. प्रवाहमय ... कल कल बहती हुई सी ... सुन्दर रचना ...

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