Sunday, August 4, 2013

बधशाला -13

महापुरुष जो भी जब आया , जग को समझाने वाला 
निष्ठुर जग ने , उसे न जाने , किस किस विपदा में डाला
अपनी अपनी कह कर कितने , चले जायेंगे ! चले गए 
बनी रहेगी पागल दुनिया , बनी रहेगी ! बधशाला.


कपडे रंग डाले तो क्या है, दिल तो है तेरा काला
बैठ जनाने घाट जपे क्या , राम नाम की तू माला 
छोड़ चुका घर बार अरे ! , तो फिर कैसे चेला चेली 
हाय गंग के तीर खोल दी , राम नाम की बधशाला 


आग लगा दे जटा जूट में ,फेंक कमंडल मृग छाला
जीता जल जा ! कर्मवीर हो ,कर्मयोग में मतवाला
इससे बढ़कर तपोभूमि क्या , तुझे मिलेगी दुनिया में
खाक रमाले, रम जाएगी , रोम रोम में बधशाला .

14 comments:

  1. वाह.....
    बेमिसाल बधशाला....................

    अनु

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  2. behtreen bahut sahi ...कपडे रंग डाले तो क्या है, दिल तो है तेरा काला

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  3. बनी रहेगी पागल दुनिया , बनी रहेगी ! बधशाला.....
    बने रहेंगे पढ़ने वाले , याद रहेगी ! बधशाला .... :)

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  4. ऐसे ही बस लिखता चल जीवन के सच को मतवाला
    आनेवाला युग दोहराएगा तेरी निर्मित बधशाला

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  5. जोरदार...वाह! अब आ ही गये पूरे रंग में..जय हो।

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  6. Badhashaala bahut achchhi hai.........

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  7. बनी रहेगी पागल दुनिया , बनी रहेगी ! बधशाला.वाह !!

    उत्कृष्ट रचना !! आपकी बधशाळा मील का पत्थर साबित हो ऐसी शुभकामना है !!

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  8. एक बहुत बड़ा सच है यह, हर जगाने वाले की उपेक्षा की गयी है यहाँ।

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  9. कर्म वीर हो जा मतवाला ....
    कर्म करे और रहे मगन ...
    कर्म कांड का पाठ पढ़ती .....
    बढ़ती चलती बाधशाला ...!!
    सुंदर चल रही है ये कड़ी ...!!

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  10. ओज़स्वी ...
    समय रहते युगपुरुष का भान नहीं करता समाज ...
    पर फिर भी मतवाले होते हैं चलना ही जिनका काम है ... राष्ट्र वेदी पे चुपके चुपके जलना जिनका काम है ...

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  11. महापुरुष जो भी जब आया , जग को समझाने वाला
    निष्ठुर जग ने , उसे न जाने , किस किस विपदा में डाला
    अपनी अपनी कह कर कितने , चले जायेंगे ! चले गए
    बनी रहेगी पागल दुनिया , बनी रहेगी ! बधशाला.
    क्या कहने हैं!!

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  12. यूँ की लिखते रहो :)

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