Friday, September 26, 2014

बधशाला -19





अरे नीच जयचंद बना तू, भाई को खाने वाला
आँख फोड़कर हाय कैद में , राय पिथौरा को डाला
धन्य चंदबरदाई तुमको , धन्य तुम्हारे साहस को
खूब मुहम्मद गोरी की , गजनी में खोली बधशाला


ताड़ गया चालाकी वह भी , था आफत का परकाला
बड़ी शान से मुलाकात को , चला मरहठा मतवाला
लगा शिवाजी को सीने से , अफजलखां ने वार किया
मार बघनखा वही खोल दी, शेर शिवा ने बधशाला


गिरा गोद में घायल पक्षी , आतुर होकर देखा भाला
वहां बधिक आ गया भूख से , था व्याकुल मरने वाला
जीवन मरण आज गौतम को.,खूब समझ में आया था
किस पर दया करूँ! क्या दुनिया , इसी तरह है बधशाला

3 comments:

  1. जीवन मरण आज गौतम को.,खूब समझ में आया था
    किस पर दया करूँ! क्या दुनिया , इसी तरह है बधशाला

    खूब....

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  2. आह .. आपकी यह वधशाला

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  3. जय हो ....कमाल की है वधशाला

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