क्या जाने क्या हाल हुआ है, सम्हले या बेअसर हुये,
सहमे सहमे आये यहाँ पर, जीवन जीने पसर गये।
उपरोक्त पंक्तियाँ श्री प्रवीण पाण्डेय जी की उदगार है जो उन्होंने मेरे ब्लॉग के एक वर्ष पूर्ण होने पर लिखे गए पोस्ट कर टिप्पणी के रूप प्रकट किया था..ये पंक्तियाँ ब्लॉग जगत में किसी भी नवागंतुक के मनोभावों को परिभाषित करती है. सीमित ज्ञान .और मुट्ठी भर शब्दों के सहारे अपने आप को अभिव्यक्त करना, शायद किसी भी नवप्रवेशी (कम से कम मै) के सामने एक चुनौती सदृश ही होगी . अभिव्यक्ति के इस सहज और सरल .मंच का ,विगत दो वर्षों से मै एक अदना सा सदस्य हूँ , और आपने आप को भाग्यशाली मानता हूँ की विद्वजनो के संगत में रहने का अवसर मिला .
मै इश्वर का आभारी हूँ की उसने मुझे बचपन में साहित्य जगत की कुछ अप्रतिम विभूतियों के वात्सल्य पूर्ण स्पर्श और उनके आशीर्वाद के लिए चुना जो अभी भी इतने सालो बाद मेरे साथ बना हुआ है.बाल्यकाल में दिनकर जी की ओजस्वी वाणी में :"आग की भीख" सुनना और महादेवी जी की वात्सल्य पूर्ण आमोद अभी भी मेरी मानस पटल पर अंकित है
अरे रे मै आप सबको क्या सुनाने लगा था , असली बात जो कहनी है वो ये कि आज हमारे ब्लॉग को अवतरित हुए पुरे दो वर्ष हो गए.. संयोग ये भी कि भगवान विश्वकर्मा के जन्मतिथि के साथ मेल खाता है अवतरण दिवस.जो मेरे जैसे विश्वकर्मा के अनुसरण करने वाले (अभियांत्रिकी ) के लिए अपार हर्ष का विषय है. विगत दो वर्षों कि इस छोटी सी यात्रा में विद्वजनो के आशीर्वचन भी मिले और कभी कंटक पथ से भी गुजरना पड़ा जो कि सामान्य सी ही बात है . मूलतः मै कविता लिखने कि कोशिश करता हूँ , मन के भावों को स्पष्ट और सटीक शब्द देने का प्रयास भी , जाने कितना सफल या असफल हुआ ये तो समय के गर्भ में है.
स्वान्तः सुखाय शुरू किया हुआ ये ब्लॉग लेखन कई अद्भुत मित्रो के सान्निध्य क़ा कारण भी बना जिनकी प्रशंसा और आलोचना मेरे अनियमित कवित्त लेखन को संजीवनी प्रदान करता रहता है . एक ख़ुशी और मिली इस ब्लॉग लेखन के माध्यम से , हमारे एक पारिवारिक मित्र है जो एक राष्ट्रिय टीवी चैनेल में सर्वोच्च पद पर है, उनकी नजर पड़ी मेरे ब्लॉग पर , और उन्होंने कहा कि मुझे उनके चैनल द्वारा आयोजित एक कवि सम्मलेन में अपनी कुछ पंक्तियाँ पढनी है. मैंने उनसे विनम्रता पूर्वक इंकार कर दिया कि मै उस काबिल नहीं हूँ अभी . अब आत्मप्रशंसा तो हो नहीं सकती मुझसे काहे कि तुलसी बाबा कि पंक्तिया याद दिलाती रहती है
"आत्मप्रशंसा अनल सम, करतब कानन दाह"
अंत में ब्लॉग जगत का शुक्रिया कि मुझ अकिंचन की लिखी पंक्तियों को अपनी गुणी नजरों से परखता है अपने टिपण्णी के माध्यम से.. उम्मीद है ये कारवां चलता रहेगा रुक -रुक के ही सही.. आपका सबका प्यार और प्रोत्साहन अभिभूत करता है , आप सबका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ .
मानस सागर में उठता ,जिन भावो का स्पंदन.
तिरोहित होकर वो शब्दों में, चमके जैसे कुंदन .
सहमे सहमे आये यहाँ पर, जीवन जीने पसर गये।
उपरोक्त पंक्तियाँ श्री प्रवीण पाण्डेय जी की उदगार है जो उन्होंने मेरे ब्लॉग के एक वर्ष पूर्ण होने पर लिखे गए पोस्ट कर टिप्पणी के रूप प्रकट किया था..ये पंक्तियाँ ब्लॉग जगत में किसी भी नवागंतुक के मनोभावों को परिभाषित करती है. सीमित ज्ञान .और मुट्ठी भर शब्दों के सहारे अपने आप को अभिव्यक्त करना, शायद किसी भी नवप्रवेशी (कम से कम मै) के सामने एक चुनौती सदृश ही होगी . अभिव्यक्ति के इस सहज और सरल .मंच का ,विगत दो वर्षों से मै एक अदना सा सदस्य हूँ , और आपने आप को भाग्यशाली मानता हूँ की विद्वजनो के संगत में रहने का अवसर मिला .
मै इश्वर का आभारी हूँ की उसने मुझे बचपन में साहित्य जगत की कुछ अप्रतिम विभूतियों के वात्सल्य पूर्ण स्पर्श और उनके आशीर्वाद के लिए चुना जो अभी भी इतने सालो बाद मेरे साथ बना हुआ है.बाल्यकाल में दिनकर जी की ओजस्वी वाणी में :"आग की भीख" सुनना और महादेवी जी की वात्सल्य पूर्ण आमोद अभी भी मेरी मानस पटल पर अंकित है
अरे रे मै आप सबको क्या सुनाने लगा था , असली बात जो कहनी है वो ये कि आज हमारे ब्लॉग को अवतरित हुए पुरे दो वर्ष हो गए.. संयोग ये भी कि भगवान विश्वकर्मा के जन्मतिथि के साथ मेल खाता है अवतरण दिवस.जो मेरे जैसे विश्वकर्मा के अनुसरण करने वाले (अभियांत्रिकी ) के लिए अपार हर्ष का विषय है. विगत दो वर्षों कि इस छोटी सी यात्रा में विद्वजनो के आशीर्वचन भी मिले और कभी कंटक पथ से भी गुजरना पड़ा जो कि सामान्य सी ही बात है . मूलतः मै कविता लिखने कि कोशिश करता हूँ , मन के भावों को स्पष्ट और सटीक शब्द देने का प्रयास भी , जाने कितना सफल या असफल हुआ ये तो समय के गर्भ में है.
स्वान्तः सुखाय शुरू किया हुआ ये ब्लॉग लेखन कई अद्भुत मित्रो के सान्निध्य क़ा कारण भी बना जिनकी प्रशंसा और आलोचना मेरे अनियमित कवित्त लेखन को संजीवनी प्रदान करता रहता है . एक ख़ुशी और मिली इस ब्लॉग लेखन के माध्यम से , हमारे एक पारिवारिक मित्र है जो एक राष्ट्रिय टीवी चैनेल में सर्वोच्च पद पर है, उनकी नजर पड़ी मेरे ब्लॉग पर , और उन्होंने कहा कि मुझे उनके चैनल द्वारा आयोजित एक कवि सम्मलेन में अपनी कुछ पंक्तियाँ पढनी है. मैंने उनसे विनम्रता पूर्वक इंकार कर दिया कि मै उस काबिल नहीं हूँ अभी . अब आत्मप्रशंसा तो हो नहीं सकती मुझसे काहे कि तुलसी बाबा कि पंक्तिया याद दिलाती रहती है
"आत्मप्रशंसा अनल सम, करतब कानन दाह"
अंत में ब्लॉग जगत का शुक्रिया कि मुझ अकिंचन की लिखी पंक्तियों को अपनी गुणी नजरों से परखता है अपने टिपण्णी के माध्यम से.. उम्मीद है ये कारवां चलता रहेगा रुक -रुक के ही सही.. आपका सबका प्यार और प्रोत्साहन अभिभूत करता है , आप सबका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ .
मानस सागर में उठता ,जिन भावो का स्पंदन.
तिरोहित होकर वो शब्दों में, चमके जैसे कुंदन .
विश्वकर्मा जी के अनुसरणकर्ता और सहज सरल मधुमय शब्दों के सहगामी के ब्लॉग के दो वर्ष पूर्ण करने पर अशेष बधाई और मंगलकामनायें .......
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई ...शुभकामनायें
ReplyDeleteमाँ शारदा का स्नेह आपके साथ है ...आपका शब्दकोष समृद्ध है ... शुभकामनाये
ReplyDeleteब्लॉग जगत में दो वर्ष पूरा करने की बधाई .... यह यात्रा निरंतर चलती रहे
ReplyDeleteआप जैसे ब्लॉगरों के कारण ही ब्लॉग जगत में छायावाद युगीन काव्य शैली देखने को मिलती है। आपने एक परंपरा को कायम रखा है। हो भी क्यों न जिनकी गोद में आपको बैठने का सौभाग्य मिला उनके काव्य के आशीष आपके साथ तो रहेंगे ही।
ReplyDeleteब्लॉग जगत में योगदान का एक और असाधारण वर्ष आपने पूरा किया, इसके लिए निश्चित रूप से आप बधाई के पात्र हैं।
आने वालों वर्षों के लिए शुभकामनाएं!
... और
Delete.... बेअसर तो कदापि नहीं रहे ये दो साल, हां आपने अपनी संभाल को नई ऊंचाईयां दी है।
दो वर्ष पूरा होने की बधाई.....
ReplyDeleteआपका लिखा पढ़ कर हमारा भी कुछ ज्ञानवर्धन होता है...
जितना समझ पाते हैं आपकी कविताओं को उतनी तो बहुत सुन्दर लगती हैं...
:-)
ढेर सारी शुभकामनाएं...लेखनी चलती रहे अनवरत....
सादर
अनु
vishwakarma ke anusharan karne wale साहित्य से इतने नजदीक हैं की दिल में जलन होती है...:)
ReplyDeleteबधाई सरकार
hmmmm !!!!!
Delete:)
आपके ब्लॉग पर आकर.स्कूल के अध्याय याद आ जाते हैं:).बहुत कुछ सीखने को मिलता है.बधाई २ वर्ष पूरे होने की.चलता रहे यह सफ़र अनवरत.
ReplyDeleteहाँ ..अपने मित्र की बात मान लीजिए यू डिजर्व इट.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआशीषजी सबसे पहले तो दो वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में अशेष बधाईयाँ ...इश्वर करे की आप इसी तरह से लिखते रहे ....अविरल...अबाध ...गति से...आपकी लेखनी बहुत सशक्त है ...और भविष्य में आप ऐसे और कई वर्ष मनाएं यही मंगल कामना है ....!
ReplyDeleteदो वर्ष पूर्ण करने पर अनेक शुभकामनायें ...!!आपकी प्रबल लेखनी यूँ ही चलती रहे और हमारी संस्कृति का संरक्षण करते हुए .. ... हिन्दी को समृद्ध करती रहे ...!!
ReplyDeleteदो साल पूरे होने की बहुत बहुत बधाई ...आप का लिखा बहुत ही बढ़िया लेखन है .बहुत कुछ सीखने को मिलता है आपके लिखे है .आप यूँ ही आगे लिखते रहे और हम पढ़ते रहे
ReplyDeleteइसी शुभकामना के साथ ...
ब्लॉग की दूसरी वर्षगाँठ के लिए बधाई स्वीकार करे
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं | आपकी भाषा , शब्दों का चयन और उनका विन्यास अत्यंत उत्कृष्ट और हम जैसे आम ब्लागरों से तो बहुत श्रेष्ठ है | कभी कभी तो मन करता है , आपसे कहूँ कि तनिक सरल शब्दों का प्रयोग करें या अंत में शब्दार्थ भी उद्धृत कर दें | बहुत कुछ सीखने को मिलता है आपसे , हिंदी भाषा के सन्दर्भ में |
ReplyDeleteआशीष जी, मन प्रसन्न हो जाता है ये पढ के कि "विद्वजनों का साथ मिला..." :) लगता है, कि असल विद्वजन तो हम ही हैं :) :) :) असल बात तो ये है, कि आप जैसे लोगों, जिन्हें दिनकर जी या महादेवी जी जैसी विभूतियों का सान्निध्य मिला, से परिचय मात्र मुझे आनन्दित करता है, आभारी करता है.
ReplyDeleteमेरी समझ में ही नहीं आता कि मेरे साथीगण अपनी योग्यता दूसरे को क्यों नहीं आंकने देते? इतना विनयी होना और आत्म-मुग्ध न होना अच्छा है, लेकिन यदि दूरदर्शन के अधिकारी खुद प्रस्ताव दे रहे हैं, तो कुछ देख के दे रहे होंगे न? पिछले साल ईटीवी मध्यप्रदेश से लोग आये, और बोले- " ममता पांडे बंदूक ले के चलती हैं, हम आपके विचार रिकॉर्ड करना चाहते हैं,इस कार्यक्रम की एंकरिंक भी आप ही करें, चैनल के लिये " हम फटाफट तैयार हुए, और आ गये कैमरों के सामने :) :) अपने विचार प्रकट कर दिये :)
ब्लॉग का जन्मदिन मुबारक हो :)
तो इस ब्लॉग जगत में तुम दो साल के हो गए . बहुत बड़े हो गए हो. आते ही तो अपने आने का परचम लहरा दिया था और अब तक तो पैठ बहुत बढ़िया बन चुकी है . बस ऐसे ही लिखते रहो चल धीमी हो या तेज. सृजन अपना अलग महत्व रखता है.
ReplyDeleteकहने को दो वर्ष हुये हैं,
ReplyDeleteशब्द अभी से हर्ष भरे हैं,
उन्हें ज्ञात यह, वे लेखन में,
हिन्दी का सौभाग्य धरे हैं।
बहुत बधाई !
ReplyDeleteब्लॉग जगत में दो वर्ष पूरा करने की बधाई
ReplyDeleteअगर कहूं कि बढ़िया लिखते हैं-तो सबने ही कहा है, कुछ नया नहीं ...
ReplyDeleteअगर कहूं कि मुझे बढ़िया पढ़ने को मिलता है- तो नया रहेगा...
हम भी यहाँ आकर पसर गए.....बधाई बहुत सी मिठाई के साथ....:-)
ब्लॉग जगत में दो वर्ष पूरे होने पे बधाई ...
ReplyDeleteआपका लेखन का प्रवाह यूं ही चलता रहे ... हम आपके मधुर काव्य का रस स्वाद लेते रहें ... पुन्ह बधाई ...
बधाईयाँ बधाईयाँ बधाईयाँ.....
ReplyDeleteये कारवाँ यूँ ही चलता रहे.. और हमें आपके सुन्दर सुन्दर शब्दों से सज्जित... अर्थपूर्ण रचनाओं को पढने का अवसर मिलता रहे....
शुभकामनाएं!!
बधाई हो...सोहलवाँ भी लगे...:)
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