Monday, November 22, 2010

वो मशहूर हो गए है

आज सुबह सोचा था कि एक कविता लिखूंगा , लेकिन फिर समय कि कमी और मूड नहीं बन पाने के कारण मुझे निराशा ही हाथ लगी , फिर हलके फुल्के क्षण में लिखी हुई कुछ पंक्तिया याद आयी .मैंने सोचा आज वही आप लोगों से बाँट लूं . आप लोग पढ़ के हलके में लीजिये लेकिन हलकान मत होइएगा.




सुना है वो मशहूर हो गए है
जिन्दादिली से दूर,मगरूर हो गए है.
हर शख्स उनका कसूरवार .
वो खुद बेक़सूर हो गए है,
ये लाजिमी है की हर मशहूर
मसरूफियत के परदे में हो.
जाने कैसे ये दस्तूर हो गए है.

उनके माथे की हर सिलवट ,
बहुत कुछ बयां करती है.
उनसे दो मीठे बोल सुनने के
अरमान  चकनाचूर हो गए है.

फरमान उनका हाजिर है ,
कि हम गैर मकसद है
वो कलम  के पाबंद,
हम वक्त खोर   हो गए है.

खुदा बख्से उन्हें हर नेमत ,
जो उन्हें मसरूफ रखती हो.
 मुझे ऐसा क्यू लगने लगा
कि वो खब्ती पुरजोर हो गए है

उनको गुमां हो गया है
कि, वो अव्वल है सबसे
खुदा बख्से अक्ल उनको
हम तो यूही,बतखोर हो गए है .

25 comments:

  1. Are aise logo ki sangat me khud se sympathy rakhne k sivaya koi upaya nahi h.. nice lines.. :)

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  2. bahut hi shaandar lehje me
    khichai ki he aapne,
    maja aaya

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  3. .

    जो मगरूर हैं इतना, उनके लिए भी इतनी सुन्दर कविता ? वाह ! क्या बात है !


    .

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  4. मगरूर,मशरूफ नहीं,
    ये ज़माने का शगल है .
    आप नहीं समझे
    ये बात अलग है.
    कविता अच्छी लिखी है.

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  5. सही कहा आपने मोनाली जी, हमे अपने आप से सहानुभूति है .

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  6. सच है, हर शख्स को बना कुसूरवार, वे बेकसूर हो गये। गज़ब।

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  7. अजी दुनिया का दस्तूर है ...अब भले ही आप मगरूर कहें मशहूर कहें या मसरूफ कहें ...पर आपकी बतखोरी बढ़िया रही .... :):)

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  8. लिखते अच्छा हैं ..हार्दिक शुभकामनायें

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  9. सतीश जी
    शुक्रिया पधारने और उत्साह वर्धन के लिए

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  10. बहुत खुबसूरत रचना है आपकी
    लगता है आप हमारा ब्लॉग भूल गये
    कभी यहाँ भी आये

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  11. ये क्या मशहूर , मगरूर , मसरूफ लगा रखा है, ये मेरी समझ से बाहर कि चीज हैं . वैसे बहुत अच्छी बतखोरी की है.

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  12. बहुत बढ़िया लिखे हैं जी !

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  13. बेहद प्रभावी .... गज़ब सुंदर वरना इस विषय पर ऐसी रचना मुश्किल है :)

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  14. सुना है वो मशहूर हो गए है
    जिन्दादिली से दूर,मगरूर हो गए है.
    हर शख्स उनका कसूरवार .
    वो खुद बेक़सूर हो गए है,

    खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  15. उनको गुमां हो गया है
    कि, वो अव्वल है सबसे
    खुदा बख्से अक्ल उनको
    हम तो यूही,बतखोर हो गए

    bahut sunder!!!!!!!!

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  16. उनको गुमां हो गया है
    कि, वो अव्वल है सबसे
    खुदा बख्से अक्ल उनको
    हम तो यूही,बतखोर हो गए है .
    यह आदमी की फितरत है ..बहुत सटीक कविता ...शुभकामनायें
    चलते -चलते पर आपका स्वागत है

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  17. उनको गुमां हो गया है
    कि, वो अव्वल है सबसे
    खुदा बख्से अक्ल उनको
    हम तो यूही,बतखोर हो गए है .

    padh kar achhaa lagaa
    shabdon mei ras bhi hai,,
    aur prabhaav bhi .

    shubhkaamnaaoN ke liye shukriyaa .

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  18. उनके माथे की हर सिलवट ,
    बहुत कुछ बयां करती है.
    उनसे दो मीठे बोल सुनने के
    अरमान चकनाचूर हो गए है....

    वाह क्या बात कही है ... गज़ब के तेवर हैं उनके ... और आपकी समझ भी लजवाब ....

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  19. उनको गुमां हो गया है
    कि, वो अव्वल है सबसे
    खुदा बख्से अक्ल उनको
    हम तो यूही,बतखोर हो गए है .....

    जी ...आशीष जी कहीं ये आपकी गलत फहमी तो नहीं .....?
    क्योंकि .जितना नाम हो इंसान की व्यस्तता उतनी ही बढ़ जाती है ....
    बहरहाल बहुत अच्छी नज़्म ....

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  20. उनको गुमां हो गया है
    कि वो अव्वल है सबसे
    खुदा बख्शे अक्ल उनको
    हम तो यूही बतखोर हो गए है

    बढ़िया कविता लिखी है आपने...बधाई।

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  21. aapka kanpur bloggers assocaiton me swagat hai.

    kanpurbloggers.blogspot.com

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  22. बहुत सटीक कविता ...शुभकामनायें

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  23. vo aapse door hue aap unse door ho jaao
    ye ahsaas galatfahmee se bhee ho jaata hai

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