हिंसा से हिंसा बढती है , पीयो प्रेम रस का प्याला
नफरत से नफरत को वश में , अरे कौन करने वाला
"बापू" के हित अगर तुम्हारी , आँखों में कुछ आंसू है
बंद करो लड़ाई,मत खोलो , हिन्दू मुस्लिम बधशाला.
मंदिर तोड़ मुसलमां सहसा , बोल उठा अल्ला ताला
मस्जिद फूंक और हिन्दू का , बजा शंख घंटा आला
जान न पाए दोनों पागल , उसके नाम अनेकों है ,
किया धर्म बदनाम खोल , रहमान राम की बधशाला.
नाच गया किसकी थापों पर , जिन्ना होकर मतवाला
किसके सगे हुए ये गोरे, रहा हमेशा दिल काला
"क्रिप्स" लगाकर आग हिन्द में , सात समुन्दर पर गया
बजा रहा था "चर्चिल" ट्रम्पेट , देख हमारी बधशाला