tag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post8599169125205594429..comments2023-10-11T05:05:14.272-07:00Comments on युग दृष्टि: विश्व छला क्यों जाता ?ashishhttp://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-14475348380311219912012-09-05T23:34:13.968-07:002012-09-05T23:34:13.968-07:00सहृदय जीव ही आखिर क्यों
तन मन की बलि चढ़ाता
विश्वा...सहृदय जीव ही आखिर क्यों<br />तन मन की बलि चढ़ाता<br />विश्वास शिराओं में गर बहता<br />फिर विश्व छला क्यों जाता ? yahi swaal aham hai ...aapke chune shabd bahut hi badhiya lage mujhe ...रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-34957271142086044782012-08-31T07:54:44.524-07:002012-08-31T07:54:44.524-07:00सहृदय जीव ही आखिर क्यों
तन मन की बलि चढ़ाता
विश...सहृदय जीव ही आखिर क्यों <br />तन मन की बलि चढ़ाता <br />विश्वास शिराओं में गर बहता <br />फिर विश्व छला क्यों जाता ? <br />गहन अभिव्यक्ति संवेदना सहित जीवन मूल्यों संग Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-85097735785791460772012-07-17T04:37:49.125-07:002012-07-17T04:37:49.125-07:00सहृदय जीव ही आखिर क्यों
तन मन की बलि चढ़ाता
विश्वा...सहृदय जीव ही आखिर क्यों<br />तन मन की बलि चढ़ाता<br />विश्वास शिराओं में गर बहता<br />फिर विश्व छला क्यों जाता ?<br />भावमय करते शब्दों का संगम ... आभारसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-23900217158377825822012-07-17T02:09:56.001-07:002012-07-17T02:09:56.001-07:00सहृदय जीव ही आखिर क्यों
तन मन की बलि चढ़ाता
विश...सहृदय जीव ही आखिर क्यों <br />तन मन की बलि चढ़ाता <br />विश्वास शिराओं में गर बहता <br />फिर विश्व छला क्यों जाता ?<br /><br />बहुत प्यारी और शानदार रचना...:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-86216579180524463082012-07-16T05:30:16.755-07:002012-07-16T05:30:16.755-07:00सहृदय जीव ही आखिर क्यों
तन मन की बलि चढ़ाता
विश...सहृदय जीव ही आखिर क्यों <br />तन मन की बलि चढ़ाता <br />विश्वास शिराओं में गर बहता <br />फिर विश्व छला क्यों जाता ? <br />क्या बात है!! बहुत बाज़िव सवाल हैं आशीष जी.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-45078551990763417692012-07-15T22:51:58.477-07:002012-07-15T22:51:58.477-07:00यदि विश्व
केवल एक ही रंग में समा जाता तो
कभी कलक...यदि विश्व <br />केवल एक ही रंग में समा जाता तो<br />कभी कलकल करता सुन्दर काव्य <br />कवि-ह्रदय से छलक कर नहीं आता <br />और हमें यूँ खींच कर भी नहीं लाता..<br /> शब्द का अभाव होने पर भी टिप्पणी भी नहीं कराता..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-69151119722113404752012-07-15T05:22:08.164-07:002012-07-15T05:22:08.164-07:00सहृदय जीव ही आखिर क्यों
तन मन की बलि चढ़ाता
विश...सहृदय जीव ही आखिर क्यों <br />तन मन की बलि चढ़ाता <br />विश्वास शिराओं में गर बहता <br />फिर विश्व छला क्यों जाता ? <br /><br />सही लिखा है आपने और सही प्रश्न उठाया है ...<br />सहृदयी ही क्यूँ मरता है ...<br />सुंदर रचना !!शिवनाथ कुमारhttps://www.blogger.com/profile/02984719301812684420noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-14824246214042712852012-07-15T01:08:38.564-07:002012-07-15T01:08:38.564-07:00सहृदय जीव ही आखिर क्यों
तन मन की बलि चढ़ाता
विश...सहृदय जीव ही आखिर क्यों <br />तन मन की बलि चढ़ाता <br />विश्वास शिराओं में गर बहता <br />फिर विश्व छला क्यों जाता ? ...<br /><br />बहुत खूब ... सार्थक प्रश्न खड़ा करता है ये छंद ... विशवास तो कभी नही रहा इंसानी खून में ... रहा भी तो बस डंडे के जोर पर ही रहा है ... अच्छे दिल वाला ही मरता आया है हमेशा से ... अकाट्य, सत्य कों लिखा है बेहतरीन पंक्तियों में ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-49152894812172481852012-07-14T22:55:24.937-07:002012-07-14T22:55:24.937-07:00दीपक को प्यार जताने
प्रेमी पतंग है जाता
पर हँसते ...दीपक को प्यार जताने<br />प्रेमी पतंग है जाता<br />पर हँसते हँसते उसको<br />क्यों अपने प्राण चढ़ाता ?<br /><br />शाश्वत प्रश्नों को आपने कविता का सुंदर रूप दिया है।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-36319352172929793242012-07-14T02:37:20.935-07:002012-07-14T02:37:20.935-07:00विश्व छलित है, आत्म ज्वलित है,
मन की राह कठिनतर हो...विश्व छलित है, आत्म ज्वलित है,<br />मन की राह कठिनतर होती।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-69056859928434389452012-07-14T00:53:11.854-07:002012-07-14T00:53:11.854-07:00खिल उठते सुमन -सुमन जब
शोभा मय होता उपवन
पर तोड़ लि...खिल उठते सुमन -सुमन जब<br />शोभा मय होता उपवन<br />पर तोड़ लिए जाते क्यों<br />खिल कर खोते क्यों जीवन ?<br />Mit jana hee jeevan ka antim saty hai....bakhoobi bayan kiya hai aapne!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-18828878840692346842012-07-13T11:15:34.845-07:002012-07-13T11:15:34.845-07:00सहृदय जीव ही आखिर क्यों
तन मन की बलि चढ़ाता
विश...सहृदय जीव ही आखिर क्यों <br />तन मन की बलि चढ़ाता <br />विश्वास शिराओं में गर बहता <br />फिर विश्व छला क्यों जाता ? <br /><br />इन प्रश्नों के उत्तर हैं क्या हमारे पास???<br />वैसे मैं शिखा जी की बात से १००% सहमत हूँइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-17515257063619719712012-07-13T10:11:26.619-07:002012-07-13T10:11:26.619-07:00गहरे उतरता प्रश्न .....अति सुंदर भावगहरे उतरता प्रश्न .....अति सुंदर भाव डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-20579066174826202332012-07-13T01:45:15.172-07:002012-07-13T01:45:15.172-07:00गज़ब के भाव हैं ..और शायद पहली बार मुझे १०० % समझ ...गज़ब के भाव हैं ..और शायद पहली बार मुझे १०० % समझ में आई है आपकी कविता :).<br />कई बार पढ़ी. बहुत सुन्दर प्यारी सी कविता..shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-36810592667109008442012-07-13T01:43:53.258-07:002012-07-13T01:43:53.258-07:00अब दी के इस कमेन्ट के बाद क्या बचा लिखने को ??? :(...अब दी के इस कमेन्ट के बाद क्या बचा लिखने को ??? :(.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-45692281953195098732012-07-13T01:43:19.707-07:002012-07-13T01:43:19.707-07:00मन को उद्वेलित करने वाली रचना....मन को उद्वेलित करने वाली रचना....Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-10878566947463427102012-07-13T01:32:25.143-07:002012-07-13T01:32:25.143-07:00क्या बात है संगीता दी , चार -पाँच क्या छः चाँद लग...क्या बात है संगीता दी , चार -पाँच क्या छः चाँद लगा दिये आपने मेरी साधारण सी कविता मेंashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-82004755797927123392012-07-13T01:25:19.218-07:002012-07-13T01:25:19.218-07:00तारो से बाते करने
हँस तुहिन- बिंदु है आते
पर क्य...तारो से बाते करने <br />हँस तुहिन- बिंदु है आते <br />पर क्यों प्रभात बेला में <br />तारे नभ में छिप जाते ?<br /><br />तारों का राज निशा में रहता है <br />उषा की किरण के साथ <br />वो सूरज को दे देता है <br /><br />*****<br />शशि अपनी उज्जवलता से <br />जग उज्ज्वल करने आता <br />पर काले बादल का दल<br />क्यों उसको ढकने जाता ?<br /><br />चाँदनी ही काफी नहीं है धरती के लिए <br />इसी लिए चाँद बादलों को ओढ़ लेता है <br /><br />******<br /><br />हँस इन्द्रधनुष अम्बर में <br />छवि राशि लुटाने आता <br />पर अपनी सुन्दरता खो<br />क्यों रो -रोकर मिट जाता<br /><br />इंद्र्धनुष एक भ्रम जाल है <br />रो कर मिटना ही <br />उसके अस्तित्व का कमाल है <br /><br />*******<br /><br />खिल उठते सुमन -सुमन जब <br />शोभा मय होता उपवन <br />पर तोड़ लिए जाते क्यों <br />खिल कर खोते क्यों जीवन ?<br /><br />क्षणिक पल ही जब होता <br />पुष्पों का जीवन <br />अधिकाधिक प्रसन्नता देने को <br />कर देते अपना जीवन अर्पण <br />*******<br /><br />दीपक को प्यार जताने <br />प्रेमी पतंग है जाता <br />पर हँसते हँसते उसको <br />क्यों अपने प्राण चढ़ाता ?<br /><br />प्रेम में पड़ा पतंगा <br />प्राण न्योछावर करता है <br />प्रेम में समर्पण की सीख <br />हर प्राणी को देता है <br />********<br /><br />सहृदय जीव ही आखिर क्यों <br />तन मन की बलि चढ़ाता <br />विश्वास शिराओं में गर बहता <br />फिर विश्व छला क्यों जाता ?<br /><br /> <br />कोमल मन ही <br />दूसरों की सोचा करते हैं <br />पत्थर भला कब कुछ <br />अर्पण करते हैं <br />विश्वास की नींव पर ही <br />अविश्वास को भी पाते हैं <br />बार-बार छले जाने पर भी <br />अविश्वास नहीं कर पाते हैं । <br /><br /><br />एक संवेदनशील कवि के मन की पीड़ा को बखूबी लिखा है ... बहुत सुंदर रचनासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-30942509632193282242012-07-12T22:13:36.964-07:002012-07-12T22:13:36.964-07:00आपके इस उज्ज्वल काव्य पर कुछ लिख पाना बहुत आसान नह...आपके इस उज्ज्वल काव्य पर कुछ लिख पाना बहुत आसान नहीं है ...वेदना इतनी गहरी है कि अनुभूत करना भी मुश्किल है ...प्रश्न ऐसे हैं जिनका जवाब प्रभु भी नहीं दे सकते ...तभी तो अदृश्य बने रहते हैं ....<br />सहृदय जीव ही आखिर क्यों <br />तन मन की बलि चढ़ाता <br />विश्वास शिराओं में गर बहता <br />फिर विश्व छला क्यों जाता ? <br /><br />प्रखर ....अद्भुत काव्य ...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-7882317967437100312012-07-12T20:17:28.924-07:002012-07-12T20:17:28.924-07:00कठिन प्रश्न है...
उत्तर की खोज शायद सभी को है...
...कठिन प्रश्न है...<br />उत्तर की खोज शायद सभी को है...<br /><br />सुन्दर रचना<br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-1814979967552809672012-07-12T19:53:58.985-07:002012-07-12T19:53:58.985-07:00दीपक को प्यार जताने
प्रेमी पतंग है जाता
पर हँसते ...दीपक को प्यार जताने<br />प्रेमी पतंग है जाता<br />पर हँसते हँसते उसको<br />क्यों अपने प्राण चढ़ाता ?<br />गहरे प्रश्न हैं ....लेकिन हर जगह त्याग और समर्पण की अभिव्यक्ति हुई है ...!केवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-31384678643226772252012-07-12T19:48:31.797-07:002012-07-12T19:48:31.797-07:00जिनके पास सहृदय दिल है, त्याग वही करना जानते हैं। ...जिनके पास सहृदय दिल है, त्याग वही करना जानते हैं। पाषाण हृदय से इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-25590225505339375432012-07-12T19:30:05.617-07:002012-07-12T19:30:05.617-07:00आये है जीने के लिए
या मृत्यु के लिए जीते है
कही मृ...आये है जीने के लिए<br />या मृत्यु के लिए जीते है<br />कही मृत्यु तो वही नहीं<br />हम जिसको जीवन कहते है.PAWAN VIJAYhttps://www.blogger.com/profile/14648578581549077487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-84642493483013997212012-07-12T19:12:57.757-07:002012-07-12T19:12:57.757-07:00क्या पीड़ा बयान की है!क्या पीड़ा बयान की है!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com