tag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post8546162280550872732..comments2023-10-11T05:05:14.272-07:00Comments on युग दृष्टि: मेघ और मानवashishhttp://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-89835415202443201662013-02-24T20:26:49.860-08:002013-02-24T20:26:49.860-08:00चिर नवीन रचनाएं..चिर नवीन रचनाएं..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-29010427669232126132010-11-30T04:15:24.535-08:002010-11-30T04:15:24.535-08:00सुंदर चित्रण..... बेहतरीन रचनासुंदर चित्रण..... बेहतरीन रचनासंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-28226165681397600772010-11-18T20:22:51.127-08:002010-11-18T20:22:51.127-08:00मनमोहक...आल्हादित हुआ मन...मनमोहक...आल्हादित हुआ मन...Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-79150374280859365102010-11-16T06:44:28.085-08:002010-11-16T06:44:28.085-08:00अलि गुंजत है अमलतास पर ,ढूंढ़ रहे सुमधुर पराग
आली...अलि गुंजत है अमलतास पर ,ढूंढ़ रहे सुमधुर पराग <br />आली निरखत है निज प्रिय को,भरे नयन अतुल अनुराग<br />प्रणयातुर विहग-कीट उल्लासित,अविचल गाते प्रेम राग <br /><br /><br /><br />आप तो स्वंयम शब्दों के धनी हैं आशीष जी ...<br /><br />प्रकृति के साथ प्रेम रस को जिस प्रकार छन्दबद्ध किया है <br /><br />छायावादी कविता की याद दिला दी ....<br /><br /><br /><br />आमीन ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-3971961694475137922010-11-16T01:04:36.764-08:002010-11-16T01:04:36.764-08:00कलह--प्रेम की मूर्ति, हम मानव , मेघो से कब सीखेंगे...कलह--प्रेम की मूर्ति, हम मानव , मेघो से कब सीखेंगे <br />ऊपर उठकर हम निज स्वार्थ से,युग बृक्ष को कब सीचेंगे<br />शत योजन आच्छादित मेघो पर , कभी तो ये मन रीझेंगे .<br /><br />Sach kaha ... maanav chaahe to is prakriti se bahut kuch seekh sakta hai .. lajawaab rachna ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-34693410104171237512010-11-14T23:20:51.231-08:002010-11-14T23:20:51.231-08:00चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 16 ...चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 16 -11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...<br />कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रियासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-15979672838604704572010-11-14T18:30:13.397-08:002010-11-14T18:30:13.397-08:00@दीप्ती जी
धन्यवाद
@मोनिका शर्मा जी
सुभागमन एवं आभ...@दीप्ती जी<br />धन्यवाद<br />@मोनिका शर्मा जी<br />सुभागमन एवं आभार .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-76902932844008621212010-11-14T13:46:21.740-08:002010-11-14T13:46:21.740-08:00सहृदय प्रकृति का सुंदर चित्रण..... बेहतरीन रचनासहृदय प्रकृति का सुंदर चित्रण..... बेहतरीन रचना डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-48577078751581938282010-11-14T10:23:49.619-08:002010-11-14T10:23:49.619-08:00हमेशा की तरह बहुत शानदार रचना
बधाईहमेशा की तरह बहुत शानदार रचना <br />बधाईdeepti sharmahttps://www.blogger.com/profile/10113945456813271746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-52581892309557663622010-11-14T08:07:46.563-08:002010-11-14T08:07:46.563-08:00संगीता जी, प्रवीण जी, महेंद्र जी, दिव्या जी, शिखा ...संगीता जी, प्रवीण जी, महेंद्र जी, दिव्या जी, शिखा जी , रेखा जी<br />आप लोगों का कोटिशः धन्यवाद उत्साह वर्धन के लिए .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-34877271215668527882010-11-14T07:53:42.825-08:002010-11-14T07:53:42.825-08:00प्रकृति से अगर मानव सीख कर चले तो मानव जीवन में वि...प्रकृति से अगर मानव सीख कर चले तो मानव जीवन में विसंगतियों के लिए कोई जगह ही न हो. प्रकृति कब अपने लिए जीती है. वे सब कुछ इस सृष्टि के लिए ही तो जी रही है. चाहे मेघ , वर्षा, वृक्ष, पुष्प और चाहे पक्षी. उनका अपना क्या अस्तित्व फिर भी हमें जीवन देने के लिए ही वे हैं . अरे हम तो इतना भी नहीं की वृक्ष को खड़ा ही रहने दें उनके लिए न सही जन के लिए ही सही .रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-24881874494463183792010-11-14T07:12:57.335-08:002010-11-14T07:12:57.335-08:00आखिर बरस ही गए मेघ और धरती रोमांचित हुई.
जिस दिन ह...आखिर बरस ही गए मेघ और धरती रोमांचित हुई.<br />जिस दिन हम मानव मेघ का ये निस्वार्थ स्वाभाव थोडा भी पा लेंगे धन्य हो जायेंगे.<br />बेहतरीन रचना..shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-51910435882820559132010-11-14T07:08:42.194-08:002010-11-14T07:08:42.194-08:00वाह, कितनी सुंदर रचना है...पढ़कर अच्छा लगा।वाह, कितनी सुंदर रचना है...पढ़कर अच्छा लगा।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-998945327625598272010-11-14T06:42:36.450-08:002010-11-14T06:42:36.450-08:00.
आशीष जी,
पुनः एक बेहतरीन रचना के लिए आपको बधाई....<br /><br />आशीष जी,<br /><br />पुनः एक बेहतरीन रचना के लिए आपको बधाई । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-53066545300262886902010-11-14T06:10:58.440-08:002010-11-14T06:10:58.440-08:00सशक्त रचना, प्रकृति तो सदा ही मनुष्य को अभिभूत करत...सशक्त रचना, प्रकृति तो सदा ही मनुष्य को अभिभूत करती है, भावों में अपनी क्रियायें उड़ेल कर।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-15024772925625828152010-11-14T05:02:04.028-08:002010-11-14T05:02:04.028-08:00बहुत खूबसूरत शब्द विन्यास ....काश हम मानव में भी प...बहुत खूबसूरत शब्द विन्यास ....काश हम मानव में भी परोपकार की ऐसी भावना आये कि अन्य मानव हर्षित हों ...उत्कृष्ट रचनासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com