tag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post4492226904154009351..comments2023-10-11T05:05:14.272-07:00Comments on युग दृष्टि: सर्प और सोपानashishhttp://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-36041815022621514932013-02-24T20:30:44.367-08:002013-02-24T20:30:44.367-08:00अति सुन्दर..अति सुन्दर..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-13461599696925550242011-09-30T00:59:08.504-07:002011-09-30T00:59:08.504-07:00respected asheeshji......is kavita ko padhkar itan...respected asheeshji......is kavita ko padhkar itana hi kahoogi ki aapki pratibha ko naman,<br /><br /> यू तो सोपान भी है प्रतीक , मनुष्य के अभिमान का <br /> जो रह गए , उसे चिढाती,जो चढ़ गए ,उनके सम्मान का <br /><br />wahhhhhhh!!!!!!!!!!!!<br /><br />kitani sahajta se prastut kiya hai jeevan ke yatharth ko ,aapka abhar.Dr.Sushila Guptahttps://www.blogger.com/profile/04450307347493420306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-76009901137537807952010-10-03T23:44:47.082-07:002010-10-03T23:44:47.082-07:00आशीष भाई, आज के हालात का सटीक चित्रण किया है आपने।...आशीष भाई, आज के हालात का सटीक चित्रण किया है आपने।<br />................<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">.....ब्लॉग चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-91413910066418988742010-09-29T21:28:45.303-07:002010-09-29T21:28:45.303-07:00@महफूज भाई
कुछ ज्यादा नहीं हुआ?? हा हा
@अरविन्द जी...@महफूज भाई<br />कुछ ज्यादा नहीं हुआ?? हा हा<br />@अरविन्द जी<br />शुभागमन<br />@बबली जी<br />धन्यवाद पधारने के लिए<br />@राजभाषा जी<br />लक्ष्य साधक बनने की चेष्टा में हूँ.ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-57370276642589078162010-09-29T21:24:39.679-07:002010-09-29T21:24:39.679-07:00@नासवा जी
आपसे सहमत हूँ.
@समीर जी
धन्यवाद
@प्रवीण ...@नासवा जी<br />आपसे सहमत हूँ.<br />@समीर जी<br />धन्यवाद<br />@प्रवीण जी<br />जीवन के खेल में विष मानवों का प्रतिकार होना जरुरी है .<br />@महेंद्र जी<br />आभार आपका .<br />@दीप्ति जी<br />शुक्रियाashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-89176865501838392042010-09-29T19:51:26.402-07:002010-09-29T19:51:26.402-07:00बहुत ख़ूबसूरत, प्रेरक और विचारणीय रचना प्रस्तुत कि...बहुत ख़ूबसूरत, प्रेरक और विचारणीय रचना प्रस्तुत किया है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-24332632187749799502010-09-29T17:06:59.027-07:002010-09-29T17:06:59.027-07:00प्रभावपूर्णप्रभावपूर्णArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-63221483754979243932010-09-29T11:13:10.826-07:002010-09-29T11:13:10.826-07:00मेरी हिंदी बहोत ही कमज़ोर है... हालांकि मुझे टाइम ...मेरी हिंदी बहोत ही कमज़ोर है... हालांकि मुझे टाइम लगा है समझने में... आपकी रचना... लेकिन जब समझ में आई ... तो मूंह से वाह... ही निकला...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-40016690526991815892010-09-29T06:50:07.751-07:002010-09-29T06:50:07.751-07:00bahut hi sahi likha hai prerak rachnabahut hi sahi likha hai prerak rachnadeepti sharmahttps://www.blogger.com/profile/10113945456813271746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-40709566947513421432010-09-29T06:35:05.085-07:002010-09-29T06:35:05.085-07:00सुंदर भावों को प्रकट करने के लिए सुंदर शब्दों का स...सुंदर भावों को प्रकट करने के लिए सुंदर शब्दों का संयोजन कविता को और ज्यादा सार्थक बना रहा है।...शुभकामनाएं...महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-59219996743769174272010-09-29T06:30:54.705-07:002010-09-29T06:30:54.705-07:00सुख और दुख को व्यक्त करते प्रतिमान, जीवन के खेल-पट...सुख और दुख को व्यक्त करते प्रतिमान, जीवन के खेल-पटल पर।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-69033065700961816782010-09-29T05:26:36.218-07:002010-09-29T05:26:36.218-07:00बहुत सुन्दर विचारणीय रचना.बहुत सुन्दर विचारणीय रचना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-50490351959798517552010-09-29T01:54:29.253-07:002010-09-29T01:54:29.253-07:00जीवन का कटु यथार्थ है , सांप सीढ़ी का खेल
त्रासद...जीवन का कटु यथार्थ है , सांप सीढ़ी का खेल <br />त्रासदी है मानव जीवन की, इन संपोलो से मेल <br />मनुष्य और सर्प के रिश्ते , है बो गए विष बेल ...<br /><br />ये त्रासदी नही मानव का प्रपंच है ... मानव खुद ही पालना चाहता है ऐसे रिश्ते क्योंकि वो डसना चाहता है इक दूजे को ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-86521039237718943742010-09-29T01:12:28.948-07:002010-09-29T01:12:28.948-07:00@रेखा जी
सही कहा आपने .
@संगीता जी
स्वार्थ ही सबसे...@रेखा जी<br />सही कहा आपने .<br />@संगीता जी<br />स्वार्थ ही सबसे बड़ा दुश्मन है .<br />@दिव्या जी<br />पाठ से विचलन ही मुख्य कारण है हमारे पतन का .<br />@वंदना जी<br />पधारने के लिए आभार .<br />@पूनम जी<br />इंतजार रहेगा उस दिन का<br />@मनोज जी<br />धन्यवाद<br />@शिखा जी<br />गरल की पहचान , आज की जरुरत .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-40195151114021158702010-09-29T00:51:25.928-07:002010-09-29T00:51:25.928-07:00अगर मानव हो सतर्क , वो गरल वमन नहीं कर सकता है
ला...अगर मानव हो सतर्क , वो गरल वमन नहीं कर सकता है <br />लाख कोशिशे , लाख जतन, प्रत्यंचा पर नहीं चढ़ सकता है <br /><br />कितनी सकारात्मक पंक्तियाँ है एक सुकून सा पहुंचती हुई ..पर कहाँ हो पाता है ऐसा गरल वमन हर मोड पर है .<br />जीवन दर्शन दर्शाती हुई बेहद प्रभावी रचना.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-49045238369114948012010-09-29T00:22:55.652-07:002010-09-29T00:22:55.652-07:00ak prerana dayak va sabki aankhen kholne me sxam a...ak prerana dayak va sabki aankhen kholne me sxam aapki yah rahna jaroor rang layegi.<br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-20911027173962214392010-09-28T23:05:33.177-07:002010-09-28T23:05:33.177-07:00बेहद खूबसूरती से अपनी बात कही है। प्रेरक रचना।बेहद खूबसूरती से अपनी बात कही है। प्रेरक रचना।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-46528639720304274252010-09-28T22:53:13.329-07:002010-09-28T22:53:13.329-07:00.
बहुत सुन्दर तरीके से आपने अपनी बात रखी है। जरूर....<br /><br />बहुत सुन्दर तरीके से आपने अपनी बात रखी है। जरूरत है जागरूक होने की । एक जागरूक नागरिक , किसी तरह के भुलावे में आकर पथ से विमुख नहीं हो सकता। <br /><br />चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।<br /><br />इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-21834808206982567272010-09-28T22:42:05.473-07:002010-09-28T22:42:05.473-07:00अगर मानव हो सतर्क , वो गरल वमन नहीं कर सकता है
ल...अगर मानव हो सतर्क , वो गरल वमन नहीं कर सकता है <br />लाख कोशिशे , लाख जतन, प्रत्यंचा पर नहीं चढ़ सकता है <br />कर हन्त, कुटिल विषदंत का , जीवन आगे बढ़ सकता है.<br /><br />आशीष जी , <br />मानव चाहे तो सब कर सकता है पर आज अपने स्वार्थ के कारण केवल गरल ही बचा है वमन के लिए .. और वमन की आदत भी कुछ ज्यादा हो गयी है ...:):)<br /><br />बहुत सुन्दर प्रेरणादायक रचना ...काश इस पर पढ़ कर हर कोई मनन करे ....उत्कृष्ट शब्द संयोजन के लिए साधुवादसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1519412473588202252.post-10652584331019341562010-09-28T22:31:44.828-07:002010-09-28T22:31:44.828-07:00बहुत सही वर्णन किया है, आज के युग का और फिर क्यों ...बहुत सही वर्णन किया है, आज के युग का और फिर क्यों न हो? युग दृष्टि से ही अवलोकन हो सकता है इस विश्व का और उसके जन जीवन का.<br />बहुत यथार्थ वर्णन किया है.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.com